30 Jun सच्चे प्यार और जिद ने पहाड़ को झुका दिया-मांझी बने करोड़ों के लिए प्रेरणा
हम अक्सर लोगों को किसी को यह कहते सुनते हैं कि तूं अकेला क्या पहाड़ तोड़ देगा? आज के युग में किसी भी मुश्किल काम को पहाड़ समझा जाता है। लेकिन पहाड़ को सचमुच तोड़ने वाला शख्स भी आज के युग का ही है। ऐसा आदमी जिसने अपने दम पर एक बड़े पहाड़ को चीर कर गांव वालों के लिए रास्ता बना दिया।
दशरथ मांझी की प्रेरणादायक कहानी
यह Motivational Story (प्रेरणादायक कहानी) है भारत के बिहार के गया जिले के गांव गहलौर के योद्धा दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) की। मांझी को The Mountain Man, Mountain Cutter के नाम से भी जाना जाता है। गहलौर में पानी लेने के लिए भी कई किलोमीटर चलना पड़ता था। पेशे से मेहनत-मजदूरी करने वाले दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) ने अकेले पहाड़ तोड़ कर 360 फुट लंबा और 30 फुट चौड़ा रास्ता बना दिया। दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) पर 2015 में एक फिल्म- Manjhi-The Mountain Man भी बनाई गई है जो बहुत ही काबिल-ए-तारीफ काम है। पहाड़ चीर कर रास्ते ने गांव की दूसरे नगरों की सुविधाओं से दूरी को बहुत कम कर दिया।
मांझी ने यह काम करने के लिए किसी बड़े औजार या मशीन का इस्तेमाल नहीं किया। यह तो सिर्फ उनके हथौड़ी-छेनी और जनून का कमाल था। जब कोई जूनूनी हो जाता है तो लोग उसे मूर्ख या पागल भी समझते हैं। कई तो सनकी कहते हैं। परिवार व गांवों वालों से उन्हें भी ऐसी बातों का सामना करना पड़ा।
अगर आपको हथौड़ी-छेनी देकर पहाड़ तोड़ने के लिए कोई कहे तो आप यही कहेंगे – सठिया गए हो क्या। पहले तो आप करेंगे ही नहीं। अगर किया तो आप ज्यादा से ज्यादा कुछ घंटे बाद वो काम छोड़ देंगे। लेकिन मांझी ने लगातार 22 साल तक यह काम जारी रखा। उन्होनें भी परेशानियों व मौसमी हालातों से संघर्ष किया। आखिरकार पहाड़ को झुकना पड़ा। नामुमकिन काम को मुमकिन बनाने के लिए दिन रात, सोते-जागते एक चिंगारी कायम रखी कि पहाड़ को चीर कर रास्ता बनाना है।
मुझे बाबा नाज़मी की पंजाबी लाइन याद आ गई
बेहिम्मते ने जेहड़े बह के शिकवा करन मुकद्दरां दा
उग्गन वाले उग्ग पैंदे ने सीना पाड़ के पत्थरां दा
दशरथ मांझी की प्रेम कहानी-
भारत ऐसा देश है जहां राजाओं की प्रेम कहानियां भी सुनी होंगी। ऐसे में एक मेहनत-मजदूरी करने वाले आदमी की प्रेम कहानी ने एक नया इतिहास रच दिया।
ऐसा क्या हुआ कि दशरथ मांझी को पहाड़ का सीना चीरने की ज़रूरत पड़ी। चलिए उस कहानी का भी ज़िक्र कर लेते हैं। मांझी अपनी पत्नी फगुनिया से बहुत प्रेम करते थे। दशरथ मांझी गहलौर घाटी में रहते थे। पहाड़ के पार वे मजदूरी करने जाते थे। उनकी पत्नी फगुनी देवी रोज़ उनके लिए पहाड़ पार करके खाना लेकर जाती थी। एक दिन ऐसी घटना हुई कि उनकी पत्नी खाना लेकर जा रही थी तब उसका पानी का घड़ा गिरा जिससे उसका पैर फिसला और वह गिर गई। फगुनी को गंभीर चोट लगी। उनका नज़दीकी अस्पताल 55 किलोमीटर दूर था। गंभीर ज़ख्मी फगुनिया को इस दूरी के कारण ले जाने में देरी हो गई। उसकी मौत हो गई। दशरथ मांझी अपनी बीवी से बहुत प्यार करते थे। वे इस घटना से काफी आहत हुए।
इस पहाड़ की वजह से अस्पताल का रास्ता जो सीधा 10-12 किलोमीटर था वह घूम कर जाने के कारण 55 किलोमीटर का बनता था। मांझी इस घटना से दुखी होकर मांझी ने जिद पाली कि जिस पहाड़ की वजह से उसकी प्यारी की जान न बच सकी उसे वे चीर कर रास्ता बनायेंगे! ऐसा करने से फगुनिया जैसे हाज़ारों लोगों की को अस्पताल पहुंचाना आसान हो गया। पहाड़ काटने से रास्ता 10-12 किलोमीटर रह गया। नज़दीकी गांवों के सैंकड़े लोगों का भविष्य उज्जवल हो गया।
दशरथ मांझी का निधन
दशरथ मांझी का निधन 2007 में हुआ। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। बिहार सरकार ने उनके नाम पर अस्पताल व पुलिस स्टेशन भी बनवाया है। उनकी जिद व अपनी पत्नी के प्रति प्रेम के कारण पहाड़ काट कर हजारों गांव वालों का भी भला किया। उनका समाधि स्थल बिहार के गहलौर में बनाया गया है जहां हर साल हजारों टूरिस्ट आते हैं। समाधि स्थल का नाम पर्वत पुरूष दशरथ मांझी रखा गया है।
Motivational Story in Hindi – जब आदमी ने चुनौती में भैंसा उठा लिया!
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